Monday, 8 September 2014

मानव शरीर में कुंडलिनी चक्र

मानव शरीर की रचना ही इस पूर्ण सृष्टि में अद्भुत मानी गई है क्योंकि इसी योनी में मन द्वारा धारण किया गया सृष्टि कल्याण का संकल्प पूर्ण हो पाता है| मानव शरीर में सात चक्रों का समावेश होता है| इन चक्रों द्वारा मानव शरीर ५६ प्रकार की ध्वनियों का उच्चारण कर पाता है|

मूलधारा चक्र - व; श; ष; स; ल
स्वाधिष्ठान चक्र - ब, भ, म, थ, र, ल, व
मणिपुर चक्र - ड, ढ, ण, त, द, ध, न, प, य, फ, र
अनाहत चक्र - क, ख, ग, घ, ड़, च, छ, ज, झ, त्र, ट, ठ, य
विशुध चक्र - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ज्ञ, लृ; ए, ऐ, ओ, अं; अः ह
आज्ञा चक्र - ह, क्ष, ॐ
सहंसधारा चक्र - सभी दल के अक्षर

पूर्ण मानव शरीर का ढ़ॉंचा इन्हीं चक्रों पर आधारित है| ध्वनि की उत्पत्ति इन चक्रों से ही होती है| सभी चक्र भिन्न-भिन्न धातुओं से बने हैं| जिन से ध्वनि का धातु रूप उत्पन्न होता है, स्वर कण्ठ से और व्याकरण मुख से निकलता है| मानव शरीर में ७२००० ना़डियॉं इन्हीं चक्रों से जुड़ी हुई हैं जिन ना़डियों द्वारा प्राणवायु का संचार पूर्ण शरीर में होता है| इन चक्रों द्वारा जब हवा के दबाव से ध्वनि का उच्चारण होता है तो उसी हवा द्वारा मस्तिष्क में बुद्घि और शरीर के भीतरी अंगों की उर्जा धाराएं खुलती हैं और मानव अपनी बुद्धि के उल्टे व सीधे भाग में उर्जा का बहाव बढ़ा पाता है| कुंडलिनी शक्ति मूलधारा चक्र में विराजमान रहती है| यह शक्ति ज्ञान कि देवी होती है| मानव संस्कृत भाषा के उच्चारण से दूर होने के कारण भी रोगी हो गया है, क्योंकि सभी भाषाओं में कटी हुई ध्वनियों का उच्चारण होता है जिसकि वजह से चक्र पूर्ण रूप से नहीं घूम पाते और प्राण वायु (उर्जा) का संचार शरीर के अंगो में नहीं हो पाता| इसी की वजह से शरीर के अंग ४० से ६० साल की आयु तक के समय में रोगों को धारण करते चले जाते हैं| इसी संस्कृत भाषा से दूर होने के कारण मानव की बुद्धि कि उर्जा धाराएं गहराई तक नहीं खुलपाती जिस कि वजह से किसी भी विचार पर बुद्घी पूर्णरूप से नहीं सोच पाती| ‘‘पूरूख सुक्त’’ के वैदिक मंत्रों के उच्चारण द्वारा ही मानव शरीर अपनी पूर्ण कुंडलिनी चक्र प्रणाली द्वारा प्राणवायु (उर्जा) का संचार अपने शरीर के भीतरी अंगों में पूर्ण रूप से कर पाता है और निरोगी भी रह पाता है| मानव के पास यही एकमात्र साधन ऐसा है जिससे सुशमना नाड़ी में उर्जा के बहाव से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है| मानव शरीर की चक्र प्रणाली वायु तत्वों और उर्जा द्वारा संचालित होने के कारण विज्ञानीक उपकरणों से देखी नहीं जा सकती है|

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