सैध्दान्तिक रूप से, चीगोंग उपचार अस्पताल में दिए जाने वाले उपचारों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। पाश्चात्य उपचार साधारण मानव समाज की पध्दतियों का प्रयोग करते हैं। प्रयोगशाला परीक्षण और एक्स-रे परीक्षण होते हुए भी, वे रोग के कारणों का पता केवल इस आयाम में लगा सकते हैं और वे मूलभूत कारणों को नहीं देख सकते जिनका अस्तित्व दूसरे आयामों में है। इसलिए वे रोग के कारण को समझने में असफल रहते हैं। दवाईयां रोग के मूल कारण (जिसे पाश्चात्य चिकित्सक पैथोजन कहते हैं, और चीगोंग में कर्म कहते हैं) को तभी दूर कर सकती हैं यदि रोगी गंभीर रूप से रोगग्रस्त न हो। यदि रोग गंभीर हो तो दवाई का प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि हो सकता है रोगी दवाई की बढ़ाई गई मात्रा सहन न कर सके। सभी रोगों को इस संसार के नियमों में नहीं बांधा जा सकता। कुछ रोग बहुत गंभीर होते हैं और इस संसार की सीमाओं के परे होते हैं, जिस कारण अस्पताल उनका निदान करने में असमर्थ होते हैं।
चीनी औषधि हमारे देश में पारंपरिक औषध विज्ञान है। यह मानव शरीर की साधना द्वारा विकसित अलौकिक शक्तियों से अलग नहीं है। प्राचीन लोग मानव शरीर की साधना में विशेष ध्यान देते थे। कनफ्यूशियस विचारधारा, ताओ विचारधारा, बुध्द विचारधारा - और यहां तक कि कनफ्यूशियस मत के शिष्य - सभी ध्यान साधना पर विशेष बल देते रहे हैं। ध्यान में बैठना एक दक्षता मानी जाती रही है। यद्यपि वे क्रियायें नहीं किया करते थे, फिर भी समय बीतने पर वे गोंग और अलौकिक सिध्दियां विकसित किया करते थे। कैसे चीनी एक्यूपंक्चर मानव शरीर की नाड़ियों का इतनी स्पष्टता से पता लगा सका? क्यों एक्यूपंक्चर बिंदु समानांतर नहीं जुड़े हैं? क्यों वे एक दूसरे को पार नहीं करते, और क्यों वे लंबवत् जुड़े हैं? क्यों उनका माप इतने त्रुटिहीन तरीके से हो पाया? अलौकिक सिध्दियों द्वारा आधुनिक व्यक्ति स्वयं अपनी आंखों से वह सब देख सकते हैं जो उन चीनी चिकित्सकों की उपलब्धियां थीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि प्रसिध्द प्राचीन चीनी चिकित्सक अलौकिक सिध्दियों के स्वामी थे। चीनी इतिहास में, ली शीज़ेन, सुन सिमियो, ब्येन चयुऐ, और हवा तोआ[18] नामक सभीचीगोंग गुरु वास्तव में अलौकिक सिध्दियों में समर्थ थे। वर्तमान तक पहुंचते-पहुंचते, चीनी औषधि अपना अलौकिक सिध्दियों वाला भाग गवां चुकी है और केवल चिकित्सा तकनीक ही बची है। प्राचीन काल में चीनी चिकित्सक (अलौकिक सिध्दियों के साथ) अपने नेत्रों का प्रयोग रोग के परीक्षण के लिए करते थे। बाद में, उन्होंने नब्ज़ देखने[19] की पध्दति भी विकसित कर ली। यदि चीनी चिकित्सा पध्दति में अलौकिक सिध्दियां वापस डाल दी जायें, तो यह कहा जा सकता है कि आने वाले कई वर्षों तक भी चीनी चिकित्सा पाश्चात्य चिकित्सा से अग्रणी रहेगी।
चीगोंग चिकित्सा रोग के मूल कारण को हटाती है। मैं रोग को एक प्रकार का कर्म मानता हूं, और रोग की चिकित्सा का अर्थ उससे संबंधित कर्म को क्षीण करने में मदद करना है। कुछ चीगोंग गुरु रोग के उपचार के लिए ची के हटाने और पूर्ति की पध्दति का प्रयोग करते हैं जिससे रोगी को काली ची को समाप्त करने में मदद मिल सके। एक निम्न स्तर पर ये चीगोंग गुरु काली ची को हटाते हैं, जबकि वे काली ची का मूल कारण नहीं जानते। यह काली ची वापस आ जाएगी और रोग लौट आऐगा। सत्य यह है कि काली ची रोग का मूल कारण नहीं है - काली ची की उपस्थिति केवल रोगी को बेचैन बनाती है। रोगी की बीमारी का मूल कारण एक चेतना है इसका अस्तित्व दूसरे आयाम में है। कई चीगोंग गुरु यह नहीं जानते। क्योंकि वह चेतना शक्तिशाली होती है, साधारण लोग उसे नहीं छू पाते, और न ही वे ऐसी हिम्मत कर सकते हैं। फालुन गोंग की चिकित्सा का तरीका इसी चेतना पर केन्द्रित है और इसी से आरंभ होता है, जिससे रोग का मूल कारण समाप्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त उस क्षेत्र में एक कवच की स्थापना कर दी जाती है जिससे रोग दोबारा घुसपैठ न कर सके।
चीगोंग रोग का निदान तो कर सकता है किन्तु मानव समाज की परिस्थितियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यदि इसे बड़े स्तर पर प्रयोग में लाया जाये तो यह साधारण लोगों के समाज की परिस्थितियों से हस्तक्षेप करेगा, जिसकी अनुमति नहीं है; और इसके आरोग्य की क्षमता भी बहुत प्रभावी नहीं होगी। जैसा कि आप जानते होंगे, कुछ लोगों ने चीगोंग परीक्षण केन्द्र, चीगोंग अस्पताल, और चीगोंगनिवारण केन्द्र आदि खोल लिए हैं। इन व्यापारों को आरंभ करने से पहले हो सकता है उनकी चिकित्सा प्रभावी रही हों। जैसे ही वे रोग की चिकित्सा के लिए व्यापार आरंभ करते हैं, प्रभाव क्षमता समाप्त हो जाती है। इसका अर्थ है कि लोगों के लिए यह वर्जित है कि वे अलौकिक पध्दतियों का प्रयोग साधारण लोक समुदाय की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करें। ऐसा करने पर उनकी प्रभाव क्षमता अवश्य ही उतने स्तर तक कम हो जायेगी जितनी साधारण लोक समुदाय की दूसरी पध्दतियां हैं।
अलौकिक सिध्दियों के प्रयोग द्वारा व्यक्ति मानव शरीर के अंदरूनी भाग की परत दर परत परीक्षण कर सकता है, वैसे ही जैसे चिकित्सा में कोणीय अनुभाग लिया जाता है। कोमल ऊतक और शरीर के किसी भी और भाग को देखा जा सकता है। यद्यपि आज की सी.टी. स्कैन स्पष्टता से देख पाने में सक्षम है, किन्तु मशीन की आवश्यकता फिर भी है; इसमें वास्तव में बहुत समय लगता है, बहुत सी फिल्म का प्रयोग होता है, और मंद गति से चलती है और महंगी है। यह उतनी सुविधाजनक और त्रुटिहीन भी नहीं है जितनी कि मानवीय अलौकिक सिध्दियां। एक शीघ्र सूक्ष्म परीक्षण करने के लिए,चीगोंग गुरु अपनी आंखें बंद करते हैं और रोगी के शरीर के किसी भी भाग को सीधे और स्पष्टता से देख लेते हैं। क्या यह उच्च तकनीक नहीं है? यह वर्तमान की ऊंची तकनीकों से भी अधिक उन्नत है। जबकि इस प्रकार की दक्षता प्राचीन चीन में पहले से ही थी - यह प्राचीन काल की उच्च तकनीक थी। हवा तोआ ने छाओ छाओ के मस्तिष्क में एक गिल्टी देखी और उसकी शल्य चिकित्सा करना चाहता था। छाओ छाओ ने हवा तोआ को बंदी बनवा दिया, क्योंकि उसने उस पर विश्वास नहीं किया और समझा कि इसे उसे हानि पहुंच सकती है। अन्तत: छाओ छाओ[20] की मस्तिष्क की गिल्टी से मृत्यु हो गई। विगत में कई महान चीनी चिकित्सक वास्तव में अलौकिक सिध्दियों के स्वामी थे। आज स्थिति यह है कि आधुनिक समाज में लोग अंधाधुंध भौतिक वस्तुओं के पीछे भाग रहे हैं और प्राचीन परंपराओं को भूल चुके हैं।
हमारी उच्च स्तरीय चीगोंग साधना द्वारा पारंपरिक पध्दतियों का पुनर्निरीक्षण किया जाना चाहिए, पुन: अपनाया और विकसित किया जाना चाहिए और पुन: उनका प्रयोग मानव समुदाय की भलाई के लिए किया जाना चाहिए।
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