वैद्यनाथ | Baidyanath | Jai Durga Shakti Peeth
माता के 51 शक्ति पीठों की अद्वभुत महिमा कही गई है. शिव से पूर्व शक्ति को प्रसन्न करने का विधान माना गया है. एक मत के अनुसार अगर देवी शक्ति प्रसन्न हो गईं तो शिव स्वयं ही प्रसन्न हो जाते है. पूरे एशिया में कितने शक्ति पीठ है, इसके विषय में सही और प्रमाणिक तथ्य माजूद नहीं है. इस संदर्भ में भारत के सभी धार्मिक ग्रन्थ और प्राचीन पुराण अलग – अलग मत रखते है. फिर भी देवी पुराण को सबसे अधिक प्रमाणिक मानते हुए शक्तिपीठों की संख्या 51 कही गई है.
इन्हीं 51 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ वैद्यनाथ-जयदुर्गा शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. इस स्थान पर माता शक्ति का ह्र्दय गिरा था. इस स्थान पर देवी शक्ति की जय-दुर्गा नाम से पूजा की जाती है. और भगवान शिव को इस स्थान पर वैद्यनाथ के नाम से जाना जाता है.
शक्ति पीठों की स्थापना किस प्रकार हुई इस संबध में एक पौराणिक कथा सामने आती है. कथा कुछ इस प्रकार है.
शक्तिपीठ स्थापना कथा । Shakti Peeth katha in hindi।
देवी सती का विवाह भगवान शंकर के साथ हुआ है. देवी सती राजा दक्ष की पुत्री थी. और राजा दक्ष को भगवान शिव पसन्द नहीं थें. राजा दक्ष को अपने स्थान और अपने राजा होने का गर्व था. एक बार उन्होंने ने एक यज्ञ का आयोजन किया, इस यज्ञ में सभी देवी-देवताओं को सआदरसहित बुलाया गया, परन्तु देवी सती और उनके पति भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया गया.
अपने पति का यह अपमान देख कर देवी सती से रहा न गया. और उन्होंने प्रायश्चित स्वरुप यज्ञ के अग्निकुंड में कूद कर अपनी जान दे दी. अपनी प्रिया के अग्नि कुंड में कूदने की बात सुनकर, भगवान शिव को बेहद क्रोध आया. वे अपनी पत्नी के शवको लेकर पूरे ब्रह्माण्ड में घूमने लगें. तब अन्य देवों के कहने पर श्री विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकडे कर दिये. शरीर के ये 51 टुकडे एशिया के जिन स्थानों पर गिरे उन स्थानों को शक्ति पीठ का नाम दे दिया गया. पूरे ब्रह्माण्ड में भटकने के बाद भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर जाकर समाधि ले ली.
इन्हीं 51 शक्ति पीठों में से एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ वैद्यनाथ-जयदुर्गा शक्ति पीठ है. यह शक्तिपीठ देवघर, झारखंड बिहार राज्य में स्थित है.
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