Monday, 30 June 2014

खीर भवानी मंदिर | Kheer Bhawani Temple Srinagar

खीर भवानी मंदिर भारत की खूबसूरत वादियों में से एक कश्मीर प्रांत के श्रीनगर शहर में स्थित है. कश्मीर के मनोहर दृश्यों से युक्त यह स्थान एक पावन धाम रूप में भी विख्यात यहाँ आस पास के क्षेत्रों में अनेक मन्दिर स्थापित हैं जिन्हें देखकर सभी लोग भक्ति भाव से भर जाते हैं यहाँ के तमाम क्षेत्रों में अनेक हिंदु मंदिर देखे जा सकते हैं जो सैलानियों एवं भक्तों सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं इन मंदिरों की शोभा से यहां का वातावरण और भी ज्यादा पावन हो जाता है.

कश्मीर के तमाम मंदिरों में से एक है खीर भवानी मंदिर जो देवी के भक्तों का एक पावन धाम है. देश भर से लोग यहाँ माँ के दर्शन करने के लिए आते रहते हैं. मां खीर भवानी मन्दिर यहाँ के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक रहा है जिसकी प्रसिद्धि कोने-कोने तक फैली हुई है. माँ के मंदिर में आकर भक्त देवी के दर्शनों को पाता है उसका आशीर्वाद ग्रहण करता है. जो भी सैलानी जम्मू कश्मीर में घूमने के लिए आते हैं वह इस मंदिर में आना नहीं भूलते और श्रद्धा भाव के साथ इस दरबार में आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं.

खीर भवानी मंदिर श्रीनगर के तुल्लामुला में स्थित है. खीर भवानी मंदिर यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है तथा यह मंदिर माता रंगने देवी को समर्पित है. मंदिर में अनेकों श्रद्धालु लम्बी लम्बी कतारों में खड़े रहकर माँ की एक झलक पाने के लिए बेचैन रहते हैं. नवविवाहित युगल यहाँ माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं तथा अपनी ज़िदगी के सफल एवं सुखद रूप की कामना करते हैं. बच्चे से लेकर बडे़, बूढे सभी यहाँ पर आते हैं यहाँ के निवासियों के लिए देवी का यह रूप करूणा व प्रेम का प्रतीक है.

खीर भवानी मंदिर कथा | Kheer Bhawani Temple Story In Hindi

खीर भवानी मंदिर का धार्मिक मह्त्व खूब है यहाँ के लोग माँ की खूब सेवा तथा पूजा अराधना करते हैं. माँ के इस मन्दिर से एक कथा भी काफी प्रसिद्ध है जिसे सुन कर मां की कृपा हर किसी पर होती है माँ की कथा को पढकर या सुनकर सभी लोग सुख की प्राप्ति करते हैं.

यहाँ पर स्थित यह मंदिर पौराणिक महत्व से जुड़ा हुआ है जिसमें एक कथा अनुसार बहुत प्राचीन समय पहले रामायण काल में भगवान श्री राम जी ने अपनी पत्नी सीता जी को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका पर चढाई करने का निश्चय किया.

राम जी ने अपनी सारी सेना के साथ रावण के राज्य लंका पर हमला बोल दिया और युद्ध आरंभ हो गया कहा जाता है की उस समय देवी राघेन्या जी लंका में निवास कर रही थी. और जब युद्ध आरंभ हुआ तो उन्होंने भगवान हनुमान जी से कहा की अब वह यहाँ पर रह नहीं सकती व उनका समय समाप्त हो चुका है

अत: वह उन्हें  अब लंका से बाहर निकाल कर हिमालय के कश्मीर क्षेत्र में ले जाएं जहां रावण के पिता पुलतस्य मुनी निवास करे थे देवी के वचन सुनकर भगवान हनुमान जी ने मां राघेन्याने को उस स्थान पर पहुँचाने का कार्य करते हैं.

इस पर देवी ने शिला का रूप धारण कर लिया तथा हनुमान जी ने उन्हें अपने हाथों में उठाकर लंका से बाहर निकाल ले गए व हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओ में घूमने लगे तथा उचित स्थान की खोज करने लगे तब उन्होंने इस स्थान को देखा तो उन्होंने यहीं पर देवी को स्थापित कर दिया यहीं पर मां राघेन्यादेवी विश्राम करने लगी.

कालांतर में यह स्थान उपेक्षा का शिकार हो गया था परंतु एक बार एक कश्मीरी पंडित को देवी राघेन्या ने नाग के रूप में दर्शन दिए तथा पंडित को उस स्थान में लेकर गईं जहाँ पर देवी का स्थान था इसके बाद उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया गया मंदिर में  देवी की मूर्ति की स्थापित है. बाद में राजा प्रताप सिंह ने 1912 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था.

खीर भवानी मंदिर महत्व | Kheer Bhawani Temple Importance

श्रीनगर में स्थित यह देवी मंदिर श्रद्धालुओं का पवित्र देवी धाम है यहाँ पर हर साल मेले का आयोजन किया जाता है देवी खीर भवानी मन्दिर में की उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिनमें सभी लोग बहुत उत्साह के साथ भाग लेते हैं सालाना होने वाले उत्सव में हजारों हिंदू श्रद्धालु पहुंचते हैं.

ज्येष्ठ माह में शुक्लपक्ष की अष्टमी को यहाँ पर मेले का आयोजन भी होता है इस पूजा के समय दूर दूर से भक्त यहाँ पहुँचते है. अपनी मनोकामनाओं के पूर्ण होने की कामना करते हैं इस अवसर पर देवी पर दूध चढ़ाया जाता है. एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि  मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में मुस्लिम दूधवाले इकट्ठा होते हैं जिनसे भक्त लोग दूध खरीदते हैं. वास्तव में यह उत्सव हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक भी बन गया है.

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