Friday, 20 June 2014

शुद्ध पारद शिवलिंग की पहचान

ये सर्वथा अशुद्ध एवं किन्ही विशेष परिस्थितियों में हानि कारक भी होते है. जैसे सुहागा एवं ज़स्ता के संयोग से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता है. इसी प्रकार एल्युमिनियम से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता है. किन्तु उपरोक्त दोनों ही शिवलिंग घर में या पूजा के लिए नहीं रखने चाहिए. इससे रक्त रोग, श्वास रोग एवं मानसिक विकृति उत्पन्न होती है. अतः ऐसे शिवलिंग या इन धातुओ से बने कोई भी देव प्रतिमा घर या पूजा के स्थान में नहीं रखने चाहिए. मैं यहाँ उदाहरण देना नहीं चाहता. क्योकि यह कोई विज्ञापन नहीं है जिसका मुझे सत्यापन करके आपने शिवलिंग की विक्री बढानी है. और न ही मै कोई शिवलिंग विक्रेता हूँ. यह मैं जन सामान्य की जान कारी एवं उनके हित के लिए बता रहा हूँ.

पारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्या धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है. “अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-
“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम.अर्थात अपनी सामर्थ्य के अनुसार कम से कम कज्जल का बीस गुना पारद एवं मनिफेन (Magnesium) के चालीस गुना पारद, लिंग निर्माण के लिए परम आवश्यक है. इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए.
ऐसे पारद शिवलिंग को आप केवल बिना पूजा के अपने घर में रख सकते है. यदि आप चाहें तो इसकी पूजा कर सकते है. किन्तु यदि अभिषेक करना हो तो उसके बाद इस शिवलिंग को पूजा के बाद घर से बाहर कम से कम चालीस हाथ की दूरी पर होना चाहिए. अन्यथा इसके विकिरण का दुष्प्रभाव समूचे घर परिवार को प्रभावित करेगा. किन्तु यदि रोज ही नियमित रूप से अभिषेक करना हो तो इसे घर में स्थायी रूप से रखा जा सकता है. ऐसे व्यक्ति बहुत बड़े तपोनिष्ठ उद्भात्त विद्वान होते है. यह साधारण जन के लिए संभव नहीं है. अतः यदि घर में रखना हो तो उसका अभिषेक न करे.
पारद शिवलिंग यदि कोई अति विश्वसनीय व्यक्ति बनाने वाला हो तो उससे आदेश या विनय करके बनवाया जा सकता है. वैसे भी इसका परीक्षण किया जा सकता है. यदि इस शिवलिंग को अमोनियम हाईड्राक्साइड से स्पर्श कराया जाय तो कोई दुर्गन्ध नहीं निकलेगा. किन्तु पोटैसियम क्लोरेट से स्पर्श कराया जाय तो बदबू निकलने लगेगी. यही नहीं पारद शिव लिंग को कभी भी सोने से स्पर्श न करायें नहीं तो यह सोने को खा जाता है.
यद्यपि पारद शिवलिंग एवं इसके साथ रखे जाने वाले दक्षिणा मूर्ती शंख की बहुत ही उच्च महत्ता बतायी गयी है. विविध धर्म ग्रंथो में इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की गयी है. किन्तु यदि इसके निर्माण की विश्वसनीयता पर तनिक भी संदेह हो तो इसका परित्याग ही सर्वथा अच्छा है. अतः सामान्य रूप से बाज़ार में मिलाने वाले पारद शिवलिंग के नाम पर कोई शिवलिंग तब तक न खरीदें जब तक आप उसकी शुद्धता पर आश्वस्त न हो जाएँ.

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