Friday, 20 June 2014

भारतीय साहित्य में 64 कलाओं का वर्णन है, जो इस प्रकार हैं-
01 - गानविद्या
02 - वाद्य (भांति-भांतिके बाजे बजाना)
03 - नृत्य
04 - नाट्य
05 - चित्रकारी
06 - बेल-बूटे बनाना
07 - चावल और पुष्पादिसे पूजा के उपहार की
       रचना करना
08 - फूलों की सेज बनान
09 - दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना
10 - मणियों की फर्श बनाना
11 - शय्मा-रचना
12 - जलको बांध देना
13 - विचित्र सििद्धयां दिखलाना
14 - हार-माला आदि बनाना
15 - कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना
16 - कपड़े और गहने बनाना
17 - फूलों के आभूषणों से श्रृंगार करना
18 - कानों के पत्तों की रचना करना
19 - सुगंध वस्तुएं-इत्र, तैल आदि बनाना
20 - इंद्रजाल-जादूगरी
21 - चाहे जैसा वेष धारण कर लेना
22 - हाथ की फुतीकें काम
23 - तरह-तरह खाने की वस्तुएं बनाना
24 - तरह-तरह पीने के पदार्थ बनाना
25 - सूई का काम
26 - कठपुतली बनाना, नाचना
27 - पहली
28 - प्रतिमा आदि बनाना
29 - कूटनीति
30 - ग्रंथों के पढ़ाने की चातुरी
31 - नाटक आख्यायिका आदि की
       रचना करना
32 - समस्यापूर्ति करना
33 - पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना
34 - गलीचे, दरी आदि बनाना
35 - बढ़ई की कारीगरी
36 - गृह आदि बनाने की कारीगरी
37 - सोने, चांदी आदि धातु तथा हीरे-पन्ने
       आदि रत्नों की परीक्षा
38 - सोना-चांदी आदि बना लेना
39 - मणियों के रंग को पहचानना
40 - खानों की पहचान
41 - वृक्षों की चिकित्सा
42 - भेड़ा,मुर्गा,बटेर आदि को लड़ाने की रीति
43 - तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना
44 - उच्चाटनकी विधि
45 - केशों की सफाई का कौशल
46 - मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना
47 - म्लेच्छ-काव्यों का समझ लेना
48 - विभिन्न देशों की भाषा का ज्ञान
49 - शकुन-अपशकुन जानना,
       प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना
50 - नाना प्रकार के मातृका यन्त्र बनाना
51 - रत्नों को नाना प्रकार के आकारों में काटना
52 - सांकेतिक भाषा बनाना
53 - मनमें कटकरचना करना
54 - नयी-नयी बातें निकालना
55 - छल से काम निकालना
56 - समस्त कोशों का ज्ञान
57 - समस्त छन्दों का ज्ञान
58 - वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या
59 - द्यू्त क्रीड़ा
60 - दूरके मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण
61 - बालकों के खेल
62 - मन्त्रविद्या
63 - विजय प्राप्त कराने वाली विद्या
64 - बेताल आदि को वश में रखने की विद्या

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