आदि कैलाश यात्रा | Adi Kailash Yatra | Importance of Adi Kailash Yatra
आदि कैलाश जिसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है देवभूमि हिमालय पर स्थित है. अधिकतर तीर्थस्थलों की यात्रा के महत्वपुर्ण संदर्भों में एक यात्रा कैलाश पर्वत के इस आदि कैलाश रूप मे भी उपस्थित है यह रमणीय स्थल जहां पर पर्वतों से निकलती नदियां, छोटे-छोट बहते झरने अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करते हैं तथा तीर्थयात्रा के आनंद को बढ़ाते हैं. इस तीर्थस्थलों की सुन्दरता का वर्णन पुराणों में किया गया है वृहत पुराण में इसके बार में लिखा हुआ है कि भगवान शिव को यह स्थल अत्यधिक प्रिय रहा है. पौराणिक कथाओं में भी हिमालय की गोद मे समाए इस पवित्र स्थल का विस्तृत वर्णन मिलता है.
यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं मे से एक है उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को छोड दिया जाए तो यह संसार का सबसे बडा बर्फीला क्षेत्र भी है इतना होते हुए भी हर वर्ष यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है इसके अतिरिक्त बुद्धिजीवी व पर्यटक भी इस रोमांचकारी रमणिय स्थान पर आते रहते हैं इस आदि कैलाश पर आना आत्मा को शांति प्रदान करता.
आदि कैलाश के बारे में महाभारत और रामायण के साथ अनेक पुराणों में इसका वर्णन मिलता है. यहां लगभग प्रत्येक पर्वत पर एक तीर्थ स्थल है यहां के प्रत्येक रास्ते, जंगल और चोटी से एक कहानी जुडी हुई है इन कहानियों में हिंदू दंत कथाओं के साथ-साथ बौद्ध धर्म की कहानियां भी जुडी हुई है. वास्तव में यह स्थान तीर्थ यात्रा पर आने वाले व सभी के लिए एक आदर्श जगह है.
आदि कैलाश महत्व | Adi Kailash Importance
कैलाश मानसरोवर यात्रा के पशचात आदि कैलाश यात्रा को सबसे प्रमुख व पवित्र यात्रा माना गया है. आदि कैलाश छोटा कैलाश के नाम से भी विख्यात है, इसके साथ ही पार्वती सरोवर स्थित है जो गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है मान्यता है की यह वह स्थल है जहां माँ पार्वती स्नान किया करती थी अत: यहां आने वाली महिलाएं इस पवित्र जल में स्नान करके अनेक कष्टों से मुक्ति पाती हैं. इन दोनों ही तीर्थस्थलों को कैलाश पर्वत व मानसरोवर झील के समतुल्य माना जाता है.
आदि कैलाश परिक्रमा | Adi Kailash Parikrama
आदि कैलाश करीब साढे चार हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है यहां का मौसम बेहद ठंडा होता है तथा रास्ता बेहद कठिनाई से भरा होता है. आदि कैलाश पर्वतमाला की परिक्रमा की शुरूवात शिन ला मार्ग से होते हुए डारमा पहुंचा जाती है यहां से आगे चलकर काली गंगा तक पहूँचा जाता है.
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