श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा | Lord Krishna Birth Place Mathura
मथुरा उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन नगर है. भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि होने के कारण यह नगर धार्मिक दृष्टिकोण से हिन्दु धर्मावलम्बियों के लिए श्रद्धेय एवं आदरणीय है. भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा भक्ति रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस पवित्र भूमि का दर्शन करके पुण्य लाभ पाना चाहता है. मथुरा में भगवान श्री कृष्ण से सम्बन्धित कई दर्शनीय स्थल हैं जहां पहुंचकर श्री कृष्ण सानिध्य एवं भक्ति रस का आनन्द मिलता है.
मथुरा नगरी | Mathura City
भगवान विष्णु जिस प्रकार शिव को अपना आराध्य मानते हैं उसी प्रकार शिव भी विष्णु भगवान को अपना आराध्य मानते हैं. इसलिए जहां भी शिव की पूजा होती है वहां विष्णु की भी पूजा होती है. इसी प्रकार जिस स्थान पर विष्णु भगवान का वास होता है, भगवान शिव अवश्य ही वहां निवास करते हैं. मथुरा नगरी भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण की जन्मस्थली है अत: नगर की सुरक्षा हेतु भगवान शिव भी इसकी चारों दिशाओं में अलग-अलग नामों से विराजमान रहते हैं. उत्तर दिशा में भगवान शिव का एक मंदिर है जो गोकर्णेश्वर के नाम से जाना जाता है. दक्षिण में रंगेश्वर शिव मंदिर है. पूर्व में पिघलेश्वर और पश्चिम दिशा में भूतेश्वर महादेव का मंदिर है.
केशवदेवजी मंदिर | Keshav Dev ji Temple
मथुरा में कटरा केशवदेव जी का मंदिर सर्वाधिक प्रसिद्ध है. मान्यताओं के अनुसार यह स्थान कंश का कारागृह था जिसमें उसने अपनी बहन देवकी सहित वसुदेव जी को बंदी बनाकर रखा था. इस स्थान पर 80-85 ई. पू. में वसु नामक व्यक्ति द्वारा मंदिर तोरण द्वार एवं वेदिका निर्माण का ब्राह्मी लिपी में लिखा एक साक्ष्य मिला है. माना जाता है कि वसु ही वह पहला व्यक्ति था जिसने यहां मंदिर बनवाया था. इसके बाद विक्रमादित्य ने इस स्थान पर मंदिर बनवाया जिसे महमूद गजनवी ने तोड़वा दिया.
तीसरी बार इस मंदिर को राजा विजयपाल ने बनवाया. इसे सिकन्दर लोदी ने नष्ट कर दिया. चौथी बार कृष्ण जन्मभूमि पर ओरछा के राजा जूदेव बुंदेला ने मंदिर बनवाया. मुगल शासक औरंगजेब ने इसे नष्ट करके इसके ध्वंसावशेषों से मस्जिद का निर्माण करवाया. आज जो जन्मभूमि मंदिर है वह पं. मदन मोहन मालवीय एवं उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला द्वारा बनवाया गया है. इस मंदिर के सामने आज भी औरंगजेब द्वारा बनवाया गया मस्जिद है.
श्री कृष्ण चबूतरा | Lord Krishna’s Platform
केशवदेव जी मंदिर के प्रांगण में कृष्ण चबूतरा नाम से एक मंदिर है. इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि यहां कंश का कारागार था जहां श्री कृष्ण ने जन्म लिया था. इस चबूतरे की छत की दीवाल पर संगमरमर लगा हुआ है. इसे ध्यान से देखने पर श्री कृष्ण की विभिन्न छवियां नज़र आती हैं.
कंकाली टीला | Kankali Mound
जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ उसी समय वसुदेव जी के मित्र नंदराय जी के घर कन्या रूप में देवी योगमाया का जन्म हुआ. वसुदेव जी कंश के भय से श्री कृष्ण को नंदराय जी के पास छोड़ आये और नंदराय जी के कहने पर उनकी कन्या को अपने साथ मथुरा ले आये. कंश ने जब देवकी के हाथों से कन्या को छीनकर मारने के उद्देश्य से भूमि पर पटकना चाहा तो कन्या उसके हाथों से छूटकर आसमान में चली गयीं। इसी योगमाया देवी को समर्पित है कंकाली दीला पर स्थापित कंकाली देवी का मंदिर.
मल्लपुरा | Malpura
केशवदेव मंदिर के पास में ही पोतरा कुण्ड है. यहां श्री कृष्ण, वसुदेव तथा देवकी जी का मंदिर है. इस स्थान को मल्लपुरा कहते हैं. मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां कंश के पहलवान चाणूर, मुष्टिक, तोशल और कूटशल रहा करते थे.
मथुरा के अन्य मंदिर | Other Temples of Mathura
इन मंदिरों के अलावा भी मथुरा में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. इनमें किशोरी रमण जी का मंदिर, वसुदेव घाट, गोविंद जी का मंदिर, विहारी जी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है.
मथुरा कैसे पहुंचे | How to Reach Mathura
मथुरा दिल्ली से लगभग 150 किलोमीटर तथा आगर से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आप यहां सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं. रेलवे द्वारा भी आप यहां आ सकते हैं. श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा रेलवे स्टेशन से काफी पास में है. यहां से आप आटो या टैक्सी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं.
मथुरा में जन्मोत्सव | Birthday in Mathura
श्री कृष्ण भगवान का जन्मोत्सव मथुरा एवं वृंदावन में काफी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस अवसर पर पूरे शहर में काफी चहल-पहल रहती है. देश विदेश से लाखों की संख्या में श्री कृष्ण भक्त यहां आते हैं. वैसे, मथुरा की यात्रा आप कभी भी कर सकते हैं. पूरे वर्ष यहां लोगों का आना जाना लगा रहता है.
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