Tuesday, 1 July 2014

पार्श्वनाथ मन्दिर | Parshwanath Temple

भारत के मध्य प्रदेश में छतरपुर ज़िले में स्थित है भारत के खूबसूरत मंदिरों का नगर खजुराहो जो संसार भर में अपनी उत्कृष्ठ कला के लिए जाना जाता है. यह एक एक छोटा सा जिला है परंतु विश्व के मानचित्र में इसने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. इसके मंदिरों में पूर्वी समूह के अंतर्गत आने वाला एक मंदिर पार्श्वनाथ मन्दिर है.
खजुराहो के सभी मंदिर अपनी एक अलग पहचान रखते हैं जिनमें से एक पार्श्वनाथ मंदिर भी है. यहाँ निर्मित सभी मंदिर भारती कला के परिचारक हैं. पार्श्वनाथ मंदिर को देखकर हम इस बात का अनुमान लगा सकते हैं की उस समय कि निर्माण कला अपने शिखर पर रही होगी.
चंदेल शासकों की शैली का यह मंदिर है जिसमें अलंकरण सौंदर्य तथा प्रतिमाऑं की सौम्यता दृष्ट्व्य होती है. पार्श्वनाथ मंदिर का निर्माण काल दसवीं शताब्दी के मध्य का माना जाता है. जो राजा की धार्मिक प्रवृति एवं उसके समर्पण भाव का प्रतिनिधित्व करता है पार्श्वनाथ मंदिर प्रथम तीर्थंकर को समर्पित किया गया है.

पार्श्वनाथ मन्दिर स्थापत्य | Parshwanath Temple Architecture

भारत में सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक एवं प्रमुख स्थान है यह मंदिर समूह का एक भाग है. पार्श्वनाथ मंदिर भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला का बेजोड़ नमूना रहा है जिसकी मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिलती. इसकी उत्कृष्ठ बनावट एवं निर्माण शैली से यह मंदिर एक जीवंत रूप में दिखाई पड़ता है कला की एक नायाब मिसाल है.
पार्श्वनाथ मंदिर यह मंदिर अलंकृत मंदिरों की श्रेणी में आता है जिसकी वजह से यह देश के बेहतरीन मध्यकालीन स्मारक हैं भी हैं. चंदेल वंश के शासकों ने यहाँ निर्मित सभी मंदिरों को बहुत ही खूबसूरती के साथ बनवाया था जो उनकी वैभवशीलता के प्रतीक बने और जिन्होंने इस वंश को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया है.
पार्श्वनाथ मंदिर खजुराहो में बने जैन मंदिरों की श्रेणी में सबसे उपर है तथा यहां जितने भी जैन मंदिर बने हैं उन सब से यह सबसे विशाल एवं सुंदर माना जाता है. यह मंदिर अपनी साधरणता में भी एक अलग आकर्षण  लिए हुए है जो इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है. पार्श्वनाथ मंदिर भू विन्यास में सभी अन्य मंदिरों से विशिष्ट है.
इसमें किसी भी प्रकार का वातायन नहीं है. पूर्वी समूह के अंतर्गत आने वाला पार्श्वनाथ मंदिर काफी चौड़ा है यह मंदिर एक विशाल जगती पर निर्मित किया गया है. इस मंदिर में जैन धर्म के पर्वतक आदिनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कि गई थी परंतु वर्तमान में स्थित पार्श्वनाथ प्रतिमा उन्नीसवीं शताब्दी की है. यह जैन मंदिर आदिनाथ जी को समर्पित है.
पार्श्वनाथ मंदिर से प्राप्त अभिलेख साक्ष्यों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण ९५० ई. से ९७० ई. के मध्य का माना गया है जिसे यशोवर्मन के पुत्र राजा धंग के शासनकाल के समय में बनवाया गया था. पार्श्वनाथ मंदिर के निर्माण काल में बहुत समय लगा था वर्तमान समय में मंदिर के कुछ भाग खराब हो चुके हैं. जैसे की यह एक ऊँची जगती पर बना हुआ है.
लेकिन उस स्थान की कारीगरी एवं सज्जा में अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है पर फिर भी यहाँ पर देखने को बहुत कुछ है. जि समें से मंदिर के प्रमुख भागों में मंडप, अंतराल तथा गर्भगृह निर्मित हैं जिनके पास परिक्रमा मार्ग का निर्माण भी हो रखा है मंदिर मंडप की सज्जा में मूर्तियों की बहुलता देखी जा सकती है जो उसकी सुंदरता को निखारती हैं.

पार्श्वनाथ मन्दिर महत्व | Parshwanath Temple Importance

पार्श्वनाथ मन्दिर अपनी निर्माण कला एवं अपनी कलाकृतियों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है यहाँ के सभी मंदिरों में अपनी महत्ता को दर्शाता पार्श्वनाथ मंदिर विश्व धरोहर भी है. इसके चारों ओर अनगिनत प्रतिमाएँ हैं निर्मित हैं यह सभी प्रतिमाएँ सूक्ष्म रूप से तराशी गई हैं. पार्श्वनाथ मंदिर की मूर्तियों में नारी के सौंदर्य को निखारा गया है इसमें वह आकर्षण में चतुर दिखाई पड़ती हैं.
मंदिर में प्रवेश करने के लिए सप्तशाखायुक्त द्वार बनाए गए हैं जिन पर महीन कारीगरी की गई है जिसमें पुष्पों के चित्र, व्यालों, मिथुनों, बेलबूटों, गंगा और कूमवाहिनी यमुना की आकृतियाँ बनाई हुईं हैं. मंदिर के अंदर उत्कीर्ण की गई मूर्तियों में विभिन्न मुद्राओं में गंधर्व, यक्ष, मंजिरा, शंख, मृदंग तथा वाद्य बजाते हुए देवियों को देखा जा सकता है. मंदिर में शैव तथा वैष्णव प्रतिमाओं के उत्कृण होने से यह धर्म के प्रति उनके समभाव को दर्शाता है.

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