Tuesday, 1 July 2014

पुष्कर मेला (ऊंट मेला) | Pushakr Mela (Camel Fair)

राजस्थान में स्थित पुष्कर तीर्थ स्थल न केवल अपने धार्मिक महत्व के कारण जाना जाता है. बल्कि इस तीर्थ स्थल का प्राकृ्तिक सौन्दर्य और धार्मिक वातावरण में मेला का आयोजन इसकी सुन्दरता में चार चांद लगा देता है. पुष्कर को वेदमाता गायत्री की स्थली भी कहा जाता है. कई देवी-देवताओं की धर्म स्थली भी यही स्थान है. इस स्थल के महत्व को इसी बात से जाना जा सकता है, कि पुष्कर तीर्थो में गुरु कहा जाता है. चार धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है, जब तक की पुष्कर की यात्रा न की जायें. ऎसे में इसे पांचवाम धाम कहना कुछ गलत न होगा.
पुष्कर में प्रतिवर्ष दो बडे मेलों का आयोजन किया जाता है.  जिसमें से एक मेला अन्तर्राष्ट्रिय ख्याति प्राप्त है. यहां के मेले न केवल मेल-मिलाप के संयोग देते है. साथ ही यह राजस्व कर के बडे स्त्रोत है. इनमें से पहला मेला कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरु होकर, कार्तिक मास की पूर्णिमा तक रहता है. दूसरा मेला वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक रह्ता है. इन मेलों का प्रारम्भ पुष्कर झील की छतरी पर ध्वजारोहण व महा आरती से होती है.
अंतराष्ट्रिय पुष्कर मेला राजस्थान की लोक संस्कृ्ति का झलक देता है. इस धार्मिक मेले के अंतिम दिन तीर्थनगरी पुष्कर में लाखों की संख्या में लोग आते है. मेले में शामिल होने आये लोग इस झील- सरोवर में स्नान कर स्वयं को धन्य करते है. इस मेले की प्रतिक्षा केवल भारत के विभिन्न राज्यों के निवासी ही नहीं, बल्कि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन, जर्मनी, आस्ट्रेलिया और पौलेण्ड के निवासियों भी करते है. राजस्थान की लोक सांस्कृ्तिक, रंगारंग कार्यक्रम और मेले में, अलग-अलग तरह के झूले लोगों को सदा से ही अपनी ओर आकर्षित करते रहे है.

पुष्कर पशु मेला | Pushkar Animal Fair

पुष्कर में शुरु होना वाला पुष्कर मेला, पुष्कर पशु मेले के नाम से भी जाना जाता है. इस मेले में देश-विदेश से सैलानी वस्तुएं खरीदने और बेचने आते है. विशेष रुप से यह मेला ऊंट मेले के क्रय-विक्रय के लिये प्रसिद्ध है. इस मेले में पशु पालकों को विभिन्न नस्ल के पशु उपलब्ध होते है. अभी भी भारत की कृ्षि पशु पर आश्रित है. मेले में पशु की दौड प्रतियोगिता होती है. और अन्य प्रतियोगिताएं भी आरम्भ से आकर्षण का केन्द्र रही है. इन प्रतियोगिताओं में अश्व प्रतियोगिता, ऊंट प्रदर्शन आदि किये जाते है. प्रतियोगिता से पहले ही उंटों के खान-पान, सेहत और साज-सज्जा का विशेष ध्यान रखा जाता है. ऊंटों की दौड में विजयी होने पर बडे-बडे ईनामों की घोषणा की जाती है.
मेले के दिनों में ऊंट और घोडों की दौड खूब पसन्द की जाती है. मेले में लगने वाली दुकानें, झूले और कलाकारों के हस्त शिल्प की वस्तुओं कि प्रशंसा में शब्द भी मौन हो जाते है. सैलानियों के द्वारा ऊंट और जानवरों की सवारी का आनंन्द लेना, लोक संस्कृ्ति और लोग संगीत की धूनों पर थिरकते लोग समां बांध देते है. यह मेला अपने आकर्षण के कारण अन्तर्राष्ट्रिय ख्याति प्राप्त कर चुका है. धीरे-धीरे समय बीतने एक साथ-साथ यह मेला एक खूबसूरत पर्यटन मेले का रुप ले चुका है. अच्छी नस्ल के जानवरों का सौदा करने के लिये यह स्थान सर्वश्रेष्ठ बन गया है.   यहां पर पशुओं की कीमत अच्छी मिल जाती है. यहां आकर ग्रामीण जीवन की संस्कृ्ति को करीब से जाना जा सकता है.

पुष्कर मंदिरों की नगरी | Pushkar Mandir Town

पुष्कर मेले का माहौल किसी तीर्थ स्थल जैसा है. यहां पर राजस्थान के पारम्परिक व सांस्कृ्तिक वेश-भूषा मेम सजे देशी-विदेशी कलाकार अपनी कला प्रदर्शित करते रहते है. साधू संतों का जमावडा यहां देखा जा सकता है. पुष्कर की सुबह काशी तीर्थ स्थल की सुबह से कम सुन्दर नहीं होती. आरतियों की गूंज और घंटियों का अनाहाद हर किसी क अपनी ओर खींच लेता है.

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