मार्गशीर्ष पूर्णिमा | Margashirsha Purnima
मार्गशीर्ष का महीना श्रद्धा एवं भक्ति से पूर्ण होता है.मार्गशीर्ष माह में पूरे महीने प्रात:काल समय में भजन मण्डलियाँ, भजन, कीर्तन करती हुई निकलती हैं. इस माह में श्रीकृष्ण भक्ति का विशेष महत्व होता है तथा गीता में स्वयं भगवान ने कहा है कि महीनों मे ‘मैं मार्गशीर्ष माह हूँ’ तथा सत युग में देवों ने मार्ग-शीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था. मार्गशीर्ष में नदी स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए। स्नान के समय नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का उच्चारण कना फलदायी होता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजन | Margshisha Purnima Pooja
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजन करने सभी सुखों की प्राप्ति होती है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु नारायण की पूजा कि जाती है. नियमपूर्वक पवित्र होकर स्नान करके सफेद कपडे पहने और आचमन करें इसके बाद व्रत रखने वाला ”ऊँ नमो नारायण“ मंत्र का उच्चारण करें. चाकोर वेदी बनाकर हवन किया जाता है, हवन की समाप्ति के पश्चात के बाद भगवान का पूजन करना चाहीए तथा प्रसाद को सभी जनों में बांट कर स्वयं भी ग्रहण करें ब्राह्यणों को भोजन कराये और सामर्थ्य अनुसार दान भी दें.
मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चन्द्रमा की पूजा अवश्य की जानी चाहिए, क्योंकि इसी दिन चन्द्रमा को अमृत से सिंचित किया गया था. इस दिन माता, बहिन, पुत्री और परिवार की अन्य स्त्रियों को वस्त्र प्रदान करने चाहिए.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा महत्व | Significance of Margashirsha Purnima
जिस प्रकार कार्तिक ,माघ, वैशाख आदि महीने गंगा स्नान के लिए अति शुभ एवं उत्तम माने गए हैं. उसी प्रकार मार्गशीर्ष माह में भी गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व खूब रहा है. जिस दिन मार्गशिर्ष माह में पूर्णिमा तिथि हो, उस दिन मार्गशिर्ष पूर्णिमा का व्रत करते हुए श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा की जाती है जो अमोघ फलदायी होती है.
जब यह पूर्णिमा ‘उदयातिथि’ के रूप में सूर्योदय से विद्यमान हो, उस दिन नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से वह बत्तीस गुना फल प्राप्त होता है अत: इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बत्तीसी पूनम भी कहा जाता है.
मार्गशीर्ष माह | Margashirsha Month
समस्त महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है. मार्गशीर्ष माह के संदर्भ में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होता है. ज्योतिष अनुसार 27 नक्षत्रों में से एक है मृगशिरा नक्षत्र तथा इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है जिस कारण से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा जाता है.
इसके अतिरिक्त इस महीने को मगसर, अगहन या अग्रहायण माह भी कहा जाता है. मार्गशीर्ष के महीने में स्नान एवं दान का विशेष महत्व होता है. श्रीकृष्ण ने गोपियां को मार्गशीर्ष माह की महत्ता बताई थी तथा उन्होंने कहा था कि मार्गशीर्ष के महीने में यमुना स्नान से मैं सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ अत: इस माह में नदी स्नान का विशेष महत्व माना गया है.
दत्तात्रेय जयंती | Dattatreya Jayanti
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को दत्त जयंती के रूप में भी मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का स्वरूप माना जाता है. दत्तात्रेय में ईश्वर एवं गुरु दोनों रूप समाहित हैं जिस कारण इन्हें श्री गुरुदेवदत्त भी कहा जाता है.
मान्यता अनुसार दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को प्रदोषकाल में हुआ था. श्रीमद्भगावत ग्रंथों के अनुसार दत्तात्रेय जी ने चौबीस गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी. भगवान दत्त के नाम पर दत्त संप्रदाय का उदय हुआ . दक्षिण भारत में इनके अनेक प्रसिद्ध मंदिर भी हैं. मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय के निमित्त व्रत करने एवं उनके दर्शन-पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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