खजुराहो मंदिर | Khajuraho Temple | History of Khajuraho Temples
भारत के मध्य प्रदेश में स्थित एक विश्व प्रसिद्ध शहर जो खजुराहो के नाम से विख्यात है. खजुराहो अपने प्राचीन वैभव एवं सौंदर्य के कारण आज भी संसार के प्रमुख स्थलों की श्रेणी में आता है. खजुराहो का अदभुत निर्माण जो प्राचीन मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात रहा है. तथा मंदिरों की स्थापत्य कला व शिल्प कला में खजुराहो का स्थान प्रमुख रूप से सामने आता है. यह भारतीय कला का अद्वितीय उदाहरण है.
मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित खजुराहो भव्य मंदिरों का विशाल समूह है. यह प्राचीन काल में खजूर वाहिका तथा खजूरपुरा आदि नामों से जाना जाता था यहां पर प्राचीन हिन्दू मंदिर एवं जैन मंदिरों को देखा जा सकता है इसी कारण खजुराहो को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है यह स्थल दुनिया भर के सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है.
खजुराहो मंदिर महत्व Khajuraho Temples Importance
विश्व प्रसिद्ध इस शहर में अनेकों मंदिर देखे जा सकते हैं कुछ तो समय के प्रभाव से केवल अवशेष मात्र ही बचे हैं. परंतु कई ऐसे भी मंदिर मौजूद हैं जो बेहतर हालात में आज भी खड़े हुए हैं. पत्थरों से निर्मित खजुराहो के मंदिरों में प्रेम की परकाष्ठा का स्वरूप दिखाई देता है. भारत के अतिरिक्त विश्व भर के पर्यटक यहां आकर अप्रतिम सौंदर्य के इस प्रतीक को देखकर चकित रह जाते हैं.
खजुराहो मंदिर इतिहास | Khajuraho Temples History
खजुराहो मंदिरों का निर्माण काल लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है. इस नगर का रूप चंदेल राजाओं के आगमन से प्रखर होता है. यह शहर चंदेल शासकों के साम्राज्य की सीमाओं में आकर पूर्ण रूप से फलीभूत हुआ था खजुराहो ही चंदेल शासकों की राजधानी बना और उनके कला सौंदर्य का स्थान भी. खजुराहो के इस अभूतपूर्व रूप को चंदेल शासक चन्द्रवर्मन ने नए आयाम दिए जिसके बारे में लोक कथाओं व महत्वपूर्ण ग्रंथों में लिखा गया है.
पृथ्वीराज के कवि व मंत्री रहे चन्द्रवरदायी ने रासो ग्रंथ में चंदेल वंश की उत्पत्ति के बारे में लिखा है जिसके अनुसार काशी के राजपंडित की एक पुत्री थी जो सौंदर्य एवं लावण्य से युक्त थी. एक बार हेमवती रात्रि के समय तालाब में स्नान कर रही थी और उस समय हेमवती के अपूर्व सौंदर्य को देखकर चन्द्र देव उस पर मोहित हो गए तथा मनुष्य का वेश धारण करके पृथ्वी पर अवतरित हुए.
उन्होंने हेमवती के समक्ष अपने प्रेम का प्रस्ताव रखा और दोनों के मिलन से एक बालक का जन्म हुआ परंतु हेमवती विधवा थी. अत: जब चन्द्रदेव को अपनी भूल का एहसास हुआ तो उन्होंने पश्चाताप स्वरूप हेमवती को वरदान दिया की उसका पुत्र एक वीर बालक होगा और बड़ा होकर एक प्रतापी राजा बनेगा तथा भव्य मंदिरों का निर्माण करवाएगा जो सदियों तक याद किए जाएंगे.
इसके साथ ही यह बालक एक महान यज्ञ का आयोजन भी करेगा जिसके होने से तुम्हारे समस्त पाप दूर हो जाएंगे. चंद्र देव के कथन अनुसार हेमवती अपने पुत्र के साथ खजूरपुरा चली गई हेमवती ने अपने पुत्र का नाम चन्द्रवर्मन रखा वह बहादुर एवं तेजस्वी था. चन्द्रवर्मन ने अनेक युद्धों में विजय प्राप्त की तथा चंद्रवर्मन नाम से चंदेल वंश की स्थापना कि चंद्र की संतान होने कारण ही यह चंद्रवंशी कहलाए.
चंद्रवर्मन ने कालिंजर किले का निर्माण करवाया तथा माँ के कथन अनुसार खजुराहो में मंदिरों का निर्माण करवाया चंद्रवर्मन ने लगभग पिच्चासी मंदिरों का निर्माण करवाया था जिनमें से वर्तमान में केवल बाइस मंदिर ही शेष बचे हैं. मंदिरों का निर्माण कार्य चंद्रवर्मन के बाद के शासकों द्वारा पूरा किया गया इन मंदिरों का निर्माण लगभग सौ वर्ष पश्चात संपूर्ण हो पाया.
खजुराहो के अन्य मंदिर । Khajuraho Other Temples
खजुराहो मंदिरों के विशाल समूह में पश्चिमी समूह इस जगह का प्रमुख स्थल है. और इसी समूह में ज्यादातर मंदिर देखे जा सकते हैं जिनमें महादेव का मंदिर, नंदी मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, वराह मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर तथा मतंगेश्वर मंदिर इत्यादि प्रमुख हैं. मुख्य परिसर से कुछ दूरी पर दक्षिणी समूह के मंदिर आते हैं जिसमें चतुर्भुज मंदिर एवं दूल्हादेव मंदिर हैं.
यह मंदिर चंदेल वंश के अंतिम राजाओं द्वारा बनवाए गए थे सभी मंदिरों की शैली, बनावट, शिल्प, मंडप अनूठे हैं. इसके साथ ही जैन मंदिरों का खुबसूरत परिदृश्य दिखाई पड़ता है जिनमें से पार्श्वनाथ मंदिर घंटाई मंदिर तथा आदिनाथ मंदिर प्रमुख हैं. सभी मंदिरों की निर्माण कला, शैली, वास्तु शिल्प बहुत ही उत्कृष्ट हैं. इनकी इसी भव्यता एवं सौंदर्य ने इन्हें विश्व विरासत की श्रेणी में स्थान दिलवाया है.
यहां भारतीय कला एवं संस्कृति के विभिन्न प्रारूप देखने को मिलते हैं शिल्पकारों द्वारा पत्थरों पर उत्कीर्ण कि गई यह कलाकृतियां कई मायनों से अदभूत हैं. भारतीय मंदिरों की स्थापत्य कला व शिल्प में खजुराहो की जगह अद्वितीय है. शिल्प की दृष्टि से बेजोड़ यह मंदिरों में उकेरी गई प्रेम की आकृतियां एवं मिथुन प्रतिमाऐं शिल्प की दृष्टि से बेजोड़ हैं.
No comments:
Post a Comment